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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2647
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।

अथवा
व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का आशय स्पष्ट कीजिए।
2. व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण किसे कहते हैं?
3. व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण को परिभाषित कीजिए।
4. व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
5. व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण जन्मजात होते हैं या अर्जित? बताइये।

उत्तर -

व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definitions of Person Perception)

व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण सामाजिक प्रत्यक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है। व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में किसी जीवित व्यक्ति का प्रत्यक्षण होता है निर्जीव वस्तु का प्रत्यक्षीकरण नहीं होता है। इस प्रत्यक्षीकरण का मुख्य उद्देश्य मानव अन्तः क्रियाओं को समझना होता है। प्रत्येक व्यक्ति की अन्य व्यक्तियों के प्रति कुछ विचारधाराएँ, भावनाएँ एवं धारणाएँ होती हैं। ये व्यक्ति की सामाजिक अनुक्रियाओं को प्रभावित करती हैं अर्थात् व्यक्ति प्रत्यक्षण हमारी अनुक्रियाओं को प्रभावित करता है और अनुक्रियाओं के प्रभावित होने के कारण व्यक्ति का व्यवहार दूसरे व्यक्ति के प्रति प्रभावित हो जाता है।

भिन्न-भिन्न समाज मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण को विभिन्न रूपों में परिभाषित किया है, उनमें से कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं-

सेकर्ड तथा बैंकमैन (Secord and Backman, 1964 ) के अनुसार “व्यक्ति प्रत्यक्षण एक ऐसी प्रक्रिया पर प्रकाश डालता है जिसके सहारे अन्य व्यक्तियों के बारे में कुछ विचारों, मतों एवं भावनाओं का निर्माण किया जाता है।

शेवर (Shaver, 1977) के अनुसार, “व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का शुभारंभ बाह्य पर्यावरण में स्थित किसी व्यक्ति से होता है और इसका समापन प्रत्यक्षणकर्त्ता द्वारा उसके बारे में एक संगठित अवधारणा के निर्माण के साथ होता है।

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि अन्य व्यक्ति के व्यक्तित्व सम्बन्धी गुणों के बारे में अनुमान लगाना ही व्यक्ति प्रत्यक्षण है।

व्यक्ति प्रत्यक्षण की विशेषताएँ
(Characteristics of Person Perception)

व्यक्ति प्रत्यक्षण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. व्यक्ति प्रत्यक्षण सामाजिक प्रत्यक्षण का एक भाग है।
2. इसमें एक व्यक्ति के निर्जीव वस्तु के स्थान पर दूसरे व्यक्ति का प्रत्यक्षण करता है।
3. इसमें किसी व्यक्ति की भावनाओं, विचारों एवं संवेगों के विषय में अनुमान लगाया जाता है।
4. व्यक्ति प्रत्यक्षण प्रत्यक्षणकर्ता की विशेषताओं से प्रभावित होता है।
5. व्यक्ति प्रत्यक्षण में व्यक्ति का उपस्थित होना आवश्यक नहीं है। उसके विषय में उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर भी व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण हो सकता है।

इन विशेषताओं के अतिरिक्त व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में प्रभाव निर्माण की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रभाव निर्माण के विभिन्न पक्ष निम्नलिखित हैं-

प्रभावांकन के पक्ष
(Aspects of Impression Formation)

व्यक्ति प्रत्यक्षण एक जटिल संज्ञानात्मक प्रक्रिया है। इसमें प्रत्यक्षण करने वाले व्यक्ति अर्थात् प्रत्यक्षणकर्ता (Perceiver) की विशेषताओं एवं उद्दीपक व्यक्ति, जिसका प्रत्यक्षण करना होता है उसकी विशेषताओं की अहम् भूमिका होती है। दैनिक जीवन में हम दूसरे व्यक्ति के सम्बन्ध में जो धारणा निर्मित करते हैं वह तीन परिस्थितियों पर निर्भर करती है। ये परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं।

1. व्यक्तियों के सम्बंध में निर्णय करने के लिए प्रत्यक्षणकर्ता को प्राप्त सूचना की मात्रा।
2. प्रत्यक्षणकर्ता और अन्य व्यक्तियों के बीच अन्तर्क्रिया की मात्रा।
3. प्रत्यक्षणकर्ता और अन्य व्यक्ति के बीच किस मात्रा में सम्बन्ध स्थापित हुये।

प्रभावांकन या छवि निर्माण में सूचना संसाधन
(Information Resources in Impression Formation)

प्रभावांकन या छवि निर्माण उन सूचनाओं से भी प्रभावित होता है जो एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के विषय में प्राप्त होती है। सूचना प्राप्त करने वाला व्यक्ति इसे विभिन्न तरीके से संशोधित (Processing) करता है और इसके आधार पर एक निश्चित छवि (Impression) बनाता है। इसे सूचना संसाधन कहते हैं। प्रभावांकन और व्यक्ति प्रत्यक्षण को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं -

1. वाचिक गुणों द्वारा अनुमान ( Inference from Verbal Traits) - किसी भी व्यक्ति के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त होने पर उसके व्यक्तित्व गुणों के विषय में अनुमान किया जा सकता है। ऐश एवं उनके सहयोगियों (Asch et al., 1946) ने इस सम्बन्ध में प्रयोग किये और पाया कि किसी भी व्यक्ति के सम्बन्ध में अवधारणा (Impression) का निर्माण वाचिक गुणों के आधार पर होता है।

2. अवाचिक सूचना से अनुमान ( Inference from Non verbal Information) - इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कारक आते हैं -

(a) चित्रों द्वारा अवधारणा (Impressions from Photographs ) - यदि प्रत्यक्षणकर्त्ता के समक्ष उद्दीपक व्यक्ति का चित्र प्रस्तुत किया जाये तो चित्र के हाव-भाव, वेश-भूषा, बालों की शैली, रंग एवं शारीरिक बनावट के आधार पर सम्बन्धित व्यक्ति के व्यवहार एवं विशेषताओं के संदर्भ में एक अवधारणा बनायी जा सकती है।

(b) शारीरिक संरचना एवं आभास (Body Built and Appearance ) - अनेक मनोवैज्ञानिकों ने इस संबंध मे अध्ययन किये। क्रेशमर, शेल्डन आदि (Kretschener, 1925, Sheldon, 1940) के अनुसार सुडौल शरीर के व्यक्ति शक्तिशाली, सक्रिय एवं मेहनती होते हैं, जबकि मोटे-लम्बे व्यक्ति आरामतलब एवं सुस्त होते हैं। अतः शारीरिक बनावट के आधार पर व्यक्ति के सम्बन्ध में एक धारणा बनायी जा सकती है।

3. प्रदर्शन क्रम का प्रभाव (Effect of Order of Presentation) - प्रदर्शन क्रम का प्रभाव प्रत्यक्षणकर्ता पर स्पष्ट रूप से पड़ता है। यदि प्रारम्भ में व्यक्ति को धनात्मक सूचना प्रदान की जाय तो व्यक्ति धनात्मक सूचना का अधिक प्रयोग करेगा और यदि प्रारम्भ में ऋणात्मक सूचना- दी जाये तो वह ऋणात्मक सूचना पर अधिक ध्यान केन्द्रित करेगा। इस तरह की प्रवृत्ति प्रदर्शन क्रम का प्रभाव कहलाती है।

4. प्रात्यक्षिक अनुमान के आधार (Bases of Perceptual Inference ) - व्यक्ति अन्य व्यक्ति के विषय में प्रभावांकन निम्नलिखित आधारों पर भी कर सकता है -
(a) श्रेणीकरण (Categorization)
- श्रेणीकरण में व्यक्ति के गुणों का निर्धारण उसकी जाति, वर्ग, धर्म या नागरिकता के आधार पर करते हैं।
(b) सादृश्य ( Resemblance)
- किसी व्यक्ति के गुणों का अनुमान उससे मिलते- जुलते लोगों के गुणों के आधार पर भी कर सकते हैं। इसे अन्यारोपण (Transference) भी कहते हैं।
(c) साम्यानुमान (Analogy) -
व्यावहारिकता के आधार पर गुणों का निर्धारण करना साम्यानुमान कहलाता है, जैसे चश्मा लगाये व्यक्ति को बुद्धिमान कहना इसका उदाहरण है।
(d) कालिक विस्तार (Temporal Extension) -
किसी व्यक्ति के क्षणिक व्यवहार के आधार पर उसके गुणों का निर्धारण करना कालिक विस्तार कहलाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
  2. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  3. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
  5. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
  6. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  7. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
  14. प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
  15. प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
  16. प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
  17. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
  18. प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
  19. प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
  20. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
  22. प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  23. प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
  24. प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
  25. प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
  26. प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
  28. प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
  29. प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
  30. प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- क्या स्कीमा स्मृति को प्रभावित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  34. प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
  35. प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  39. प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
  40. प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
  42. प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
  48. प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
  49. प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
  50. प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  51. प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
  52. प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  57. प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  58. प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
  60. प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
  61. प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
  64. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
  66. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
  67. प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
  69. प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
  71. प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
  72. प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
  73. प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
  76. प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
  82. प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
  83. प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
  85. प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
  88. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
  90. प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
  91. प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
  92. प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।

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